सांवली सलोनी छवि मद गोपाल की
लट घुन्ग्राली काली अखियाँ कमाल की
गली गली चर्चा चले यशोदा के लाल की
प्रेम रस बरसायो श्याम ब्रिज धाम आयो
ब्रिज में आनंद छायो
प्रेम रस बरसायो श्याम ब्रिज धाम आयो
झनक झनक भाजे पेजनैया श्याम के पाँव में
जग को नचाने वाला नाचे खुद नन्द गाव् में
उड़ के हवायो में
जिस ने भी देखा आखे सब ने निहाल की
लट घुंगराली काली अँखियाँ कमाल की
प्रेम रस बरसायो श्याम ब्रिज धाम आयो
टुक टुक देखे गोपियाँ ग्वाले बंसी वाले को,
चंदा जैसी सूरत आली अद्भुत वाले को
गालो की तारीफे करे कोई कोई चाल की
लट घुंगराली काली अँखियाँ कमाल की
प्रेम रस बरसायो श्याम ब्रिज धाम आयो