तुम बिन लाज गरीब की कौन रखे घनश्याम।निर्बल के बल तुम हो मुरारी सबके सवारो काज रे।
जब की ग्राह ने गज को पकड़ा अंतिम क्षण मे प्राण हो।
तब गज ने किया ध्यान प्रभु का लेते ही आये नाम हो।
तुम बिन लाज गरीब की।
दुष्ट दुशाशन चिर जो खींचे नहीं आवे कोई काम रे।
कर उठाये द्रोपदी ने पुकारी, सारी बने घंश्याम हो.
तुम बिन लाज गरीब की।
विप्र सुदामा द्वार जो आये दौरे नंगे पाव हो।
चरण धोये निज धाम दिए प्रभु, जाने सकल जहाँ रे।
तुम बिन लाज गरीब की।