गणपती बाप्पा मोरिया कलयुग में क्या जो रिहा
पढ़े लिखे को काम नही कर रहे वो चोरियां
गणपती बाप्पा मोरिया कलयुग में क्या जो रिहा
बहु सास की सुनती नही है हो रही तू तू मैं मैं
जरा सा झडा बड जाए तो चल जावे मायेके में
सास बहु में बनती नही है हो रही जोर जोरियाँ
गणपती बाप्पा मोरिया कलयुग में क्या जो रिहा
देहज के खातिर बहु परेशान सासू रोज लडे है,
चार चको की मांगत गाडी मांगी लाल बने है
देहज की खातिर बहु जला दी थाणे में क्यों रो रेहा,
गणपती बाप्पा मोरिया कलयुग में क्या जो रिहा
होता बटवारा घर का जब बटवारे पर लड़ते रिश्ते नाते भूल ही जाते दुशमन जैसे लड़ते,
भाई का वैरी भाई बना भाई पे भाई चला रहा गोलियां
गणपती बाप्पा मोरिया कलयुग में क्या जो रिहा
गाये हमारी बटक रही है काट रहे चरखो में
काहे जाए क्या जा कर खाए उछल रहे ट्रको में
गाये की सेवा कोई कोई करता
कुते को साबुन से धो रिहा
गणपती बाप्पा मोरिया कलयुग में क्या जो रिहा
कोई है छोटू खोटू किसी का फ़ोन में हो रही चर्चा
बाते आगे बड गी शादी को छप गया पर्चा
पत्नी करे आराम पलंग पे पति पका रहा रोटिया
गणपती बाप्पा मोरिया कलयुग में क्या जो रिहा
मंदिर में तो लोग नही तो खाली नही कलारी
देवा सब पर किरपा कीजियो विनती यही हमारी
राम नाम को भूल गये विश्सकी पी अर में खो रिहा,
गणपती बाप्पा मोरिया कलयुग में क्या जो रिहा