गणनायक से मन

गणनायक से हट कर मन कही जाता नही है,
सच पूछो तो उन जैसा कोई दाता नही

है सुख कही दर्द समजलो यही है
गणनायक से हट कर मन कही जाता नही है,

भगतो की आशायो को जो पूरी कर दे
रिधि सीधी से वरनायक झोली भर दे
रोशनी से भर दिए आँखों के दिए
नाव में दे जिनकी थी वो भी है जिए
अनहोनी को होनी कर दे देवा याहा
इनके चरणों में दिल गबराता नही हिया
गणनायक से हट कर मन कही जाता नही है,

आते है सवाली कई सवाल लिए
संग कई उल्ज्नो के जाल लिए
अन्तर्यामी ने सब को जवाब दिए
जो भी आये लौटे नए खाव्ब लिए
अपनी करनी का करले इकरार याहा
इस मंदिर जैसा मिलता दरबार काहा
दिल खोले में कोई शरमाता नही है
याहा गणना हो वाहा विघन आता नही है
तुझबिन कोई दुःख हरता कहलाता नही है
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