बाबा के दर पे लग रहा मेला आ रही दुनिया सारी,
कार्लो दर्शन बाबा के ये भरते झोली खाली
जय जय जय हो
सचे मन से इन के दर जो आता है
मन चाहा फल उसको ही मिल जाता है
ये सोये भाग जगाए पल में बिगड़े काम बनाये,
अरे इनकी महिमा निराली
ये देवो ने भी जानी
जय जय जय हो
हारे का सहारा मुरली वाला है
कोई कहे कन्हाई कोई कहे नंदलाला है,
इनको केहते जग का स्वामी
मेरा श्याम अंतर यामी
अरे संवारी सूरत मोर मुकट पे जाऊ मैं बलिहारी
जय जय जय हो
निर्गुण है निर्दोष गुणों की खान है
सब की झोली भरते ये तो महान है,
ये तो सुख का मेवा खिलाये सब को सीधी राह चलाये,
सुबोत ललित भी सेवक बन के आये शरण तुम्हारी