गम की मारी हु हारी हु तकदीर से
मुझे श्याम जी अपना बना लीजिये,
ठोकरे खा रही है मेरी जिन्दगी
संवारे मुझको खाटू बुला लीजिये
गम की मारी हु हारी हु तकदीर से
कब तलक यु ही दर दर भटक ती रहू
मेरे बाबा मुझे एक दर चाहिए,
मुझको देदो वही पे ठिकाना कही
अब ठिकाना वही उम्र भर चाहिए
मैं भटक ही रही हु कदी धुप में
ठंडी छाओ में मुझको बिठा लीजिए
गम की मारी हु हारी हु तकदीर से
है सुना मैंने तुम हो दयालु बड़ी
आया खाटू में जो फिर वो हारा नही
मिल गया है सहारा तुम्हारा जिसे
जिन्दगी भर रहा बेसहारा नही
मैं गमो की सताई आई याहा
मुझ्जो बाबा गमो से बचा लीजिये
गम की मारी हु हारी हु तकदीर से