जो रिधि सीधी दाता है,
प्रथम घनराज को सुमरू जो रिधि सीधी दाता है,
मेरी अरदास सुन देवा तू मुश्क चड के आ जाना,
सभा के मद आकर के हमारी लाज रख जाना
करू विनती मैं झुक उनकी माँ गोरी जिनकी माता है
अगर श्रधा नही विस्वाश नही भगवान् बदल के क्या होगा
क्रिया न मन्त्र मैं जानू शरण में तेरी आया हु,
मेरी बिगड़ी बना देना चडा ने कुछ न लाया हु,
करू कर जोड़ नम नम के जो मुक्ति के प्रदाता है
प्रथम घनराज को सुमरू जो रिधि सीधी दाता है,
सुनो शंकर सुमन मुझको अभुधि ज्ञान दे जाओ,
अँधेरे में भटकते को धर्म की राह दिख लाओ
अनिल विनती करे उनकी विनायक जो कहाता है,
प्रथम घनराज को सुमरू जो रिधि सीधी दाता है,