जब जब, कीर्तन करने को हम, कहीं पे जाते हैं l
सब से पहले, जोर से गणपति, वंदन गाते हैं l
आओ आओ, गज़ानन हम, तुम्हें बुलाते हैं ll
*तुम्हें बुलाते हैं, देवा तुम्हें मनाते हैं l
आओ आओ, गज़ानन हम, तुम्हें बुलाते हैं ll
ख़ज़राने से ll आओ गज़ानन, लड्डुवन भोग लगाते हैं* l
पान सुपारी और नारियल, चरणों में चढ़ाते हैं ll
आओ आओ, गज़ानन तुमको, भोग लगाते हैं l
*भोग लगाते हैं, देवा तुम्हें मनाते हैं l
आओ आओ, गज़ानन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
पार्वती के ll पुत्र गज़ानन, देवों में हो न्यारे रे* l
शंकर जी के राज दुलारे, सबकी आंख के तारे रे ll
आओ आओ, गज़ानन तुमको, लाड लड़ाते हैं l
*लाड लड़ाते हैं, देवा तुम्हें मनाते हैं l
आओ आओ, गज़ानन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
बीच सभा में ll आओ गज़ानन, कीर्तन तुम्हे सुनाते हैं* l
रामायण के दोहे पढ़कर, राम का अलख जगाते हैं ll
मंगल भवन, मंगल हारी,
द्रबहुस दशरथ, अजिर बिहारी l
कलियुग तरने, ना उपाए कोई,
राम भजन, रामायण दोही l
आओ आओ, गज़ानन राम, भजन सुनाते हैं l
*भजन सुनाते हैं, देवा तुम्हें मनाते हैं
आओ आओ, गज़ानन,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल