बरसा दाता सुख बरसा
आंगन आँगन सुख बरसा
चुन चुन कांटे नफरत के प्यार अमन के फूल खिला,
कोई तन से है दुखी कोई मन से है दुखी,
हे प्रभु दया करो उल्जा जहान हो सुखी
सबके दुखो की तुम हो दवा आंगन आँगन सुख बरसा,
वैर द्वेष को मिटा तू सकल संसार से,
नाम का सिमरन करे हम तो सचे प्यार से
मानव से मानव हो न जुदा आंगन आँगन सुख बरसा,
है यही दुआ सदा कोई न उदास हो
दिल जो चाहे वो ख़ुशी सब के दिल के पास हो
मांगू हर दम सब का भला आंगन आँगन सुख बरसा,