मां रेवा तेरी निर्मल धार बहती जाए

मात नर्मदे हर हर मात नर्मदे,मात नर्मदे हर हर मात नर्मदे

मां रेवा तेरी निर्मल धार बहती जाए,
भगतों का करने उद्धार बहती जाए
मात नर्मदे हर हर मात नर्मदे....

अमरकंठ से प्रगटी मैया, गौमुख से निकली धारा
पाप नाशनी है जगदंबा ,जिसने जन जन को तारा
साधु सन्यासी गुण गायें, तेरे जल में डुबकी लगाएं
भगतों का करने उद्धार , बहती जाए
मात नर्मदे हर हर मात नर्मदे....

शिव की सुता गणेश की बहना, जग का माँ कल्याण करे
मगर सवारी करके मैया भगतन का भंडार भरे
तेरे जल में जितने कंकर, सब कहलाते हैं शिव शंकर
वेगवती लेकर अवतार, बहती जाए
मात नर्मदे हर हर मात नर्मदे.....

बालू वाहिनी कहे रंजना तमसा सुरसा नाम तेरे
पश्चिम दिशा बहे जलधारा नगर नगर हैं धाम तेरे
मच्छ कच्छ करे मीन किलोलें,मां रेवा तेरी जै जै बोले
बड़े बड़े पर्वत फोर पहार,बहती जाए
मात नर्मदे हर हर मात नर्मदे

गंगा सप्तमी को खुद गंगा, तुमसे मिलने को आती
अपने पाप सब धोकर जल में,पुण्य उठाकर ले जाती
भगतों के माँ भाग्य जगाती,दर्शन से सब पाप मिटाती
बेनाम नैया करदो पार, बहती जाए
मात नर्मदे हर हर मात नर्मदे.....

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