जय जय माँ, जय जय माँ, जय जय माँ, जय जय माँ
चिठ्ठी आई है, आई है, चिठ्ठी आई है
चिठ्ठी आई है, मैया की चिठ्ठी आई है
चिठ्ठी आई है, कटरा से चिठ्ठी आई है
बड़े दिनों के बाद, इस निर्धन की फरियाद
संदेसा माँ का लायी है
चिठ्ठी आई है, मैया की चिठ्ठी आई है...
पहले माँ का नाम लिखा है
फिर माँ का पैगाम लिखा है
लिखती है माता वैष्णो रानी
जग जननी जगदम्बा भवानी
माँ ने लिखा तू मिलने आज
कुछ पल मेरे पास बिता जा
जी भर के तुझे प्यार करुँगी
खुशिओं से झोली मैं भर दूंगी
लाल चुनरिया तू, मेरे लाल ले आना,
नारियल ध्वजा तू भूल ना जाना
चिठ्ठी आई है...
करना पड़ा इंतज़ार है तुझको
मालूम है मेरे लाल यह मुझको
मेरी भी थी कुछ मजबूरी
बतलाती वो बात जरूरी
लाखों हैं जग में मेरे बेटे
एक साथ ना जाए समेटे
तंग गुफा में घर है मेरा,
ऊँचे पर्वत पे मेरा डेरा
कोशिश कर कर के मैं हारी
तब कहीं आई तेरी बारी
आई घडी अब है वो सुहानी,
लिखती है माँ विष्णो रानी
चिठ्ठी आई है...
आगे लिखा है माँ ने खत में
नमन करूँ माँ को शत शत मैं
कटरा तक बस तू आ जाना
दूर नहीं फिर मेरा ठिकाना
बोलना प्रेम से जय माता दी
लेना समझना की खबर पंहुचा दी
लेने को खुद आ जाउंगी
मंजिल तक तुझे पहुँचाऊँगी
मुमकिन है तू देख ना पाये
पर एहसास तुझे हो जाए
आधक्वारी से तुझको मिलाऊँ
गर्बजून की गुफा दिखाऊं
आगे फिर साँजी छत आए
भवन नज़र वहां से आ जाए
वहीँ मिलूँगी लाल मैं तुझको
कब आएगा बतला मुझको
तेरा मैं इंतज़ार करुँगी
गोदी बिठा के प्यार करुँगी
चिठ्ठी आई है...
चिठ्ठी आई है आई है चिठ्ठी आई है
चिठ्ठी आई है मैया की चिठ्ठी आई है
चिठ्ठी आई है कटरा से चिठ्ठी आई है
चिठ्ठी आई है भवन से चिठ्ठी आई है
बड़े दिनों के बाद, इस निर्धन की याद
भवानी माँ को आई है
चिठ्ठी आई है मैया की चिठ्ठी आई है...