ओढ़ के चुनरिया लाल,
मैं नाचूँ तेरे अँगना मे ,
*मैं नाचूँ तेरे अँगना मे,
दर पे आऊँ हर साल,
मैं नाचूँ तेरे अँगना मे ,
ओढ़ के चुनरिया,,,,,,,,,
पाँव में अपने, बांध के घुँघरू ,
आठों पहर तेरे, नाम को सिमरू,
और बजाऊँ खड़ताल,,, जय हो,
मैं नाचूँ तेरे अँगना मे,
ओढ़ के चुनरिया,,,,,,,,,,,,,,
चरणों में तेरे, सीस झुकाऊँ ,
जी भरके तेरे, दर्शन पाऊँ ,
मेरे भी, संकट टाल,,, जय हो,,,
मैं नाचूँ तेरे अँगना मे,
ओढ़ के चुनरिया,,,,,,,,,,,,,,
बिन तेरे मोहे, कुछ भी न भाए ,
व्याकुल मन मेरा, चैन न पाए ,
आऊँ मैं, तेरे दरबार,,, जय हो,,
मैं नाचूँ तेरे अँगना मे,
ओढ़ के चुनरिया,,,,,,,,,,,,,
ज्योति कल्छ के, दीपक जा के,
प्रेम सुधा, बरसा दे आ के ,
मेरे भी, जगा दे भाग,,, जय हो,,
मैं नाचूँ तेरे अँगना मे,
ओढ़ के चुनरिया,,,,,,,,,,,,,,
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल