क्या रूप है शेरावाली का आंबे का ज्योति वाली का
सब मिल कर बोलो जय कारा,जरा प्रेम से बोलो जैकारा,
क्या रूप है शेरावाली का आंबे का ज्योति वाली का
ये दुखड़े हमारे हर लेती खुशियों के खजाने भर देती
ये माता अदि शक्ति है भगतो पे किरपा रखती है,
इक वार वहां जो आता है मुँह मांगी मुरादे पाता है,
पर्वत पे बनी अटारी है वहां बैठी माता हमारी है ,
करते है तेरी माँ जैकारे दर्शन दे जा हम को माते,
बड़े भक्त तेरे गुण गये है यही द्वार तेरे आये है,
मिले दर्शन हम को आज माता तू खोल भंडारे आज माता,