बिणजारी ए हँस हँस बोल

बिणजारी ए हँस हँस बोल,
प्यारी प्यारी बोल,
बाता थारी रह ज्यासी,
बिणजारो मत जाण बातां रह ज्यासी

कंठी माला काठ की रे माही रेशमी सूत
सूत बिचारा के कर जद कातण वाला कपूत

रामा तेरे बाग़ में रे लाम्बी भदी खजूर
चढूं तो मेवा चाख ल्यूं पड़ते ही चकनाचूर

बालपणे में भज्यो नहीं रे करयो न हरी से हेत
अब पछताया के होव जद चिड़ियाँ चुग़ गयी खेत

टान्डो थारो लद गयो रे होगी लाद प लाद
रामानंद का भणे कबीरा बैठी मोजा मार
बाता रह ज्यासी....


जय श्री नाथ जी महाराज की

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