कल्लाजी महाराज मेरे अंगना पधारो

कल्लाजी महाराज मेरे अंगना पधारो,-2
अंगना पधारो मेरे घर में पधारो,
नित ही निवेदन करता हूं मैं आकर मुझको तारो ।

जीवन नैया डूबी जाए,कोई ना इसको पार लगाए-2
मन में इक आशा को लेकर,ठाकुर द्वार तुम्हारे आए,
सबको छोड़ छोड़ कर बैठा-2, तुम ही एक सहारो,
कल्लाजी महाराज....

सपने पल भर में ही टूटे, तुम्हरी खातिर अपने छूटे-2
इन नयनों से देख न पाऊं,लगता है प्रभु तुम भी रूठे,
कृष्णाजी के संग में आकर-2,जीवन मेरा सँवारो,
कल्लाजी महाराज....

अंगना में सब फूल बिछाकर घर को खूब सजाया मैंने-2
केसर की खुशबू से ठाकुर निज घर को महकाया,
शबरी जैसा हुआ मेरा मन-2, बनकर राम पधारो,
कल्लाजी महाराज....

नित ही निवेदन करता हूं मैं आकर मुझको तारो-2
कल्लाजी महाराज मेरे अंगना पधारो-2
अंगना पधारो मेरे घर में पधारो।
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