भइयाँ भी तू है मेरा बाबुल भी तू ही दोनों रिश्तो की लाज निभाना,
घर से विदा कर के दिल से तुम अपने मुझको कभी न भुलाना,
सोने की थाली ने खिलौना है तूने फूलो पे मुझको सुलाया,
पैरो के नीचे मेरे कलियाँ बिछाई सिर पे रखा अपना साया,
सारे जहा में कहा तुझसे मिले गाकोई भी अपना बेगाना,
भइयाँ भी तू है मेरा बाबुल भी तू ही दोनों रिश्तो की लाज निभाना,
अंगना में मैंने तेरे बचपन से अब तब जी भर कर की है मन मानी,
थोड़ा सा बाकि तेरे घर में बचा है अब तो मेरा दाना पानी,
मैं तेरी दुनिया से जब दूर जाऊ यादो के दीपक जलाना,
भइयाँ भी तू है मेरा बाबुल भी तू ही दोनों रिश्तो की लाज निभाना,