तू जितनी भी चाहे दौलत कमा ले
माँ बाप से बढकर कोई धन नहीं है
बचपन से जिसने चलना सिखाया
पढा के लिखा के काबिल बनाया
वो बूढे हुए जो अकेले हुए वो
उन्हे साथ रखने का तेरा मन नहीं है
जन्म के तुझे है जिस माँ ने पाला
बडा होके उसका तू छीने निवाला
रखा कोख में था नौ माह जिसने
उसी माँ को रखने का तेरा मन नहीं है
तू जितनी भी चाहे दौलत कमा ले
माँ बाप से बढकर कोई धन नहीं है