तेरे दर पे सर झुकाया

तेरे दर पे सर झुकाया और सब कुछ पा लिया,
तूने मुझ गरीब को अपना बना लिया
तेरे दर पे सर झुकाया....

दुनिया की ठोकरी थी सहारा था बस तेरा
इक तेरे सिवा मेरी मैया कौन था मेरा
बदनसीबी का मेरी नसीबा जगा दिया
तेरे दर पे सर झुकाया

भरदो गी खाली दामन ये यकीन था मुझे
तेरा जगाया दीपक आंधी में भी न भुजे
तूने तो मेरे सिर को माँ दुनिया में उठा दियां
तेरे दर पे सर झुकाया

टूटी हुई है वाणी गुणगान क्या करू
कैसे मैं तेरी महिमा इस मुख से व्यान करू
रणजीत को मेरी माँ तूने लायक बना दिया
तेरे दर पे सर झुकाया
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