घड़ड़ दे सुनार कंगना

घड़ड़ दे सुनार कंगना मैया को पहनाऊँगी ॥
कंगन जो पहने मैया बलिहारी जाउंगी॥

शेषनाग की मणि लगादे चाँद सितारे जड़ दे
सूरज की किरणों संग शोभा तीन लोक की भरदे ॥
पहना के माँ को कंगना ॥
भव तर जाउंगी घड़ड़ दे......

सात समुंदर के रत्नो से कंगन मेरा सजादे
हीरे मोती नीलम पन्ने और पुखराज लगादे॥
भेंट चड्डाह के कंगना॥
मैया को मनाऊंगी घड़ड़ दे ....

कंगन पहनो माँ जगदम्बे सोए भाग जगादो
हाथ दया का सिर पे रख दो नैया पार लगादो ॥
शेरांवाली  माँ की महिमा ॥
सबको सुनाऊँगी घड़ड़ दे ........

माँ शक्ति का देख के कंगना भगत सभी हर्षाये
ये प्यारा सा कंगना माँ की शोभा और बढ़ाये ॥
कंगना की भेंट मधुर सबको सुनाऊँगी घड़ड़ दे ...........
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