दीपो से सजे घर द्वार

तर्ज - दिल से बंधी एक डोर जो .....

दीपो से सजे घर द्वार ,
दीपावली आई है हाँ आई है,
खुशियो की सौगात  लाई है,
मनभावन त्यौहार , आया सुख दाई है
रोशनी घर घर में  छाई है
दीपो से सजे घर द्वार....

सदियों पुराना पर्व ये सुहाना  दीपो उत्सव कहाया है ,
प्रेम की ज्योति  हमने जलाकर  अंधकार मिटाया है
जग में निराला है ये पर्व अपना
रोशन किया है जिसने घर अपना
दुनिया ये रोशनी में नहाई है
दीपो से सजे घर द्वार.....

सत्य की होती जीत हमेशा , हार से हम न हारेंगे
फिर से लौटके आयेगी खुशियां , प्रभु ही हमको तारेगे .
महक उठेगा ये फिर से चमन
सारे जहाँ  में होगा चेनो अमन आशा की ज्योति हमने जगाई है
दीपो से सजे घर द्वार...
                       ।।।।
           ✍️ दिलीप सिंह सिसोदिया
                      " दिलबर "
                  नागदा जक्शन
             
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