हाथ लिए धनुष वान
चढ़ चले पुष्पक विवान
संग सिया लखन राम
आवे अयोध्या की और राम आवे अयोध्या की और
धर्म की ध्वजा लिए हनुमान चले साथ में,
विजय निशान राम सेना के हाथ में
सूरज की किरणों में स्वतंत्रता समाई है
बीत गई रात भई भोर
राम आवे अयोध्या की ओर
अंत हुआ बरसों के इन्तजार का
नष्ट हुआ राज घोर अन्धकार का,
दीप जले कोटि कोटि सरयू के किनारे
मच रहा गली गली में शोर
राम आवे अयोध्या की ओर
मिट गया कलंक दुरा चारियो के नाम का
बन रहा विशाल धाम भगतो के राम का
सत्ये की विजय का रच दिया इतहास है
रोक लो बजुयो में जोर
राम आवे अयोध्या की ओर