लंकापति रावण पिया चुराई तूने हरि की सिया,
हाय हाय तूने यह क्या किया चुराई तूने हरि की सिया,
लंकापति रावण पिया चुराई....
जिस दिन से तुम सीता लाए,
काले बादल लंका पर छाए,
मेरा उस दिन से धड़के जिया,
चुराई तूने हर की सिया...
मामा मारीच का लिया सहारा,
जोगी का तूने भेष बनाया,
जग जननी को धोखा दिया,
चुराई तूने हर की सिया.....
लौटा दो तुम जनक दुलारी,
इतनी मानो बात हमारी,
तूने जन्मों का बदला लिया,
चुराई तूने हर की सिया.....