मुझे भेज बुलावा मेरिये दातिये मिल ने को तडप रहा ये दास माँ
मुझे भेज बुलावा दातिये,
दर्शन को तरस रहा ये दास माँ
दर्शन दो वैष्णो रानिये दर्शन को तरस रहा ये दास माँ
मुझे भेज बुलावा दातिये,
नित सुमिरन तेर करता हु
तेरे ध्यान में खोया में रेहता हु
मेरे सिर पे तेरा हाथ हो दिन रात ये सोचता रहता हु
हो दर्श तेरा मेरी दातिये,
मुझको है तेरा विश्वास माँ
मुझे भेज बुलावा मेरिये दातिये ...
तू दाती दया वान है तू ही ममता की खान है ,
चरणों में तेरे स्वर्ग है माँ तू ही सची सरकार है,
उपकार करो माँ भवानिये
चरणों का रहु तेरा दास माँ
मुझे भेज बुलावा मेरिये दातिये
चित्र को संकट घेरा है
अविनाश माँ बालक तेरा है,
चिंता हर चिन्तपुरनीये मेरे मन में बसेरा तेरा है,
मेरी करदे मुराद ये पूरी ऐ,
दर्शन को बुलावा भेज माँ
मुझे भेज बुलावा मेरिये दातिये