ओ दुर्गे मैया सुनले विनती हमारी माई री,
हो जा हमपे कृपालु हो जा हमपे दयालु ,
आजा आजा हमारे भी गाँव में ,
टूटी मड़ैया की छांव में,
जहाँ सावन के झूले ,बालू के टीले,
और पीपल की डंडी डन्डी छांव में,
छाँव छाँव छाँव में
आजा हमारे भी गाँव गाँव मे गाँव मे,
आजा.........
जहाँ शाम सुहानी जहाँ रुत मस्तानी,
बाजे घुंघरू बहारों के पांव में ,
पाँव पाँव पाँव
आजा हमारे भी गाँव में,
आजा.......
जहाँ स्वर्ण सबेरा जहाँ सूरज का डेरा,
आजा कागा की तूँ कांव कांव में,
कांव में कांव में कांव में,
आजा....
जहाँ शर्मो हया है जहां धर्म और दया है,
आजा राजेन्द्र के गाँव की ठाँव में,
ठाँव में ठाँव में ठाँव में,
आजा............
गीतकार/गायक - राजेन्द्र प्रसाद सोनी
8839262340