अर्पण किया है श्याम को जो भी तुझको वापिस बाँट दिया
तेरे हर इक दीप के बदले तेरा संकट काट दिया,
जितने दीप जलाए तूने उतना ही दुःख दूर किया
रौशनी करके जीवन तेरा तुझको ही मशहुर किया,
छतरी बन कर सांवरिया ने तूफानों को छांट दिया
तेरे हर इक दीप के बदले तेरा संकट काट दिया,
जितने पुष्प चड़ाये तूने तुझको उतना महकाए
झोली में खुशिया दे कर घर को तेरे चेह्काया
सेठो का है सेठ संवारा तुझको हर इक ठाठ दिया
तेरे हर इक दीप के बदले तेरा संकट काट दिया,
जब जब भोग लगाते तो प्रशाद के इसके पाया है
रोग दोष से मुकत हुआ है सुंदर तेरी काया है,
जब जब बाह बड़ाई राघव इस ने अपना हाथ दिया
तेरे हर इक दीप के बदले तेरा संकट काट दिया,