तर्ज - तेरी अँखिया को यो काजल....
हम कबसे राह निहारे
क्यो न आये बाबोसा हमारे
एक पल भी चेन न आवे
बिन दर्शन के तुम्हारे .
हो..पल पल , पल पल याद तेरी तड़पावे रे ,
अब आजा चूरू के राजा , भक्त बुलावे है रे ,
अँखिया तरस रही , तेरा करने को दीदार
ये दिल की हर धड़कन भी , तुमको रही पुकार
मेरी जिंदगी का अब ये , पहलू बदल न जाये
कही तुम्हारे आते आते , मेरा दम निकल न जाये,
हो..पल पल , पल पल याद तेरी तड़पावे रे ,
अब आजा चूरू के राजा , भक्त बुलावे रे ,
कही टूट न जाये बाबा , तेरे भक्तो की ये आस
दौड़े आयेंगे बाबोसा , है पक्का मुझे विस्वास
दिलसे बुलाओ दिलबर आयेगे वो जरूर
अपने भक्तो की विनती नही ठुकरायेंगे हुजूर
हो..पल पल , पल पल याद तेरी तड़पावे रे
अब आजा चूरू के राजा , के भक्त बुलावे रे
✍️ रचनाकार ✍️
दिलीप सिंह सिसोदिया
❤️ दिलबर ❤️
नागदा जक्शन म.प्र .