हारे का सहारा तू तेरे भक्तों से सुनता हूँ

हारे का सहारा तू तेरे भक्तों से सुनता हूँ
आंसू मेरे बोल रहे तेरे पास क्यों आया हूँ
हारे का सहारा तू...............

जग से मैं नहीं हारा खुद को ही हराया है
जब वक़्त था पास मेरे मैंने व्यर्थ गंवाया है
मुझे मालूम है बाबा पापी से भी पापी हूँ
आंसू मेरे बोल रहे तेरे पास क्यों आया हूँ
हारे का सहारा तू...............

तेरी राह में आने से अब लगता है ये मुझको
शायद मेरे पैरों के छले दिखे तुझको
अंगारों की राहों से चलकर के मैं आया हूँ
आंसू मेरे बोल रहे तेरे पास क्यों आया हूँ
हारे का सहारा तू...............

लोगों से सुना बाबा ह्रदय में तू रहता है
तुझे मालूम ही होगा क्या क्या दिल सेहत है
इस धड़कन से पूछो न कैसे मैं जीता हूँ
आंसू मेरे बोल रहे तेरे पास क्यों आया हूँ
हारे का सहारा तू...............
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