तर्ज - बचपन की मोहब्बत को ....
बाबोसा मेरी अर्जी स्वीकार तू कर लेना
आया हु शरण तेरी , चरणों मे जगह देना
मैं दींन हीन निर्बल , तुझे याद करूँ हरपल
है जी हो... हो.. हो
मैं दींन हीन निर्बल , तुझे याद करूँ हरपल
है अतुल बलि मुझको , तुम दे दो अपना बल
तुम दाता हो में याचक , मेरी झोली भर देना
बाबोसा मेरी अर्जी.....
हनुमत की कृपा से है , तेरी कलयुग में सत्ता
है जी हो... हो.. हो
हनुमत की कृपा से है , तेरी कलयुग में सत्ता
तेरी मर्जी के बिना बाबा , हिल न सके पत्ता
नादान समझ हमको , बाबा तू निभा लेना
बाबोसा मेरी अर्जी.....
हर ऒर निराशा है , तुमसे ही बंधी एक आस
है जी हो... हो.. हो
तेरी चौखट न छोड़ू ,जब तक है तन में सांस
मुझे दिल मे बिठा दिलबर मेरे भाग्य जगा देना
बाबोसा मेरी अर्जी.....
✍️ रचनाकार ✍️
दिलीपसिंह सिसोदिया
❤️ दिलबर ❤️
नागदा जक्शन म.प्र.