जाएगा जब जहाँ से, कुछ भी ना पास होगा ।
दो गज कफ़न का टुकड़ा तेरा लिबास होगा ॥
काँधे पे धर ले जाए परिवार वाले तेरे ।
यमदूत ले पकड़कर डोलेंगे घेरे घेरे ।
पीटेगा छाती अपनी, मनवा उदास होगा ॥
चुन चुन के लकडियो में रखदें तेरे बदन को ।
आकर झट उठा ले तेरे कफ़न को ।
देदेगा आग तुझमे, बेताब ख़ास होगा ॥
मिट्टी में मिले मिट्टी, बाकी ख़ाक होगी ।
सोने सी तेरी काया, जल कर के राख होगी ।
दुनिया को त्याग तेरा, मरघट में वास होगा ॥
प्रभु का नाम जपते भाव सिन्धु पार होते ।
माया मोह में फंस कर जीवन अमोल खोते ।
हरी का नाम जपले बेडा जो पार होगा ॥