सुन सांवरे तुमको कब से पुकारे रे
नैना भी म्हारे प्यारे रो रो के हारे रे
सुन सांवरे ...........
अपनी ही उलझनों में उलझ हम आये रे
मिलते ही नैन तुमसे कुछ ना कह पाए रे
अँखियों से बरसे मोती दर पे तुम्हारे रे
सुन सांवरे ...........
दुखियों की भीड़ दर पे रहे दिन रात है
जाने है तू तो हर एक दिल की रे बात है
भीगी हैं पलकें सबकी तुमको निहारे रे
सुन सांवरे ...........
बांकी है चितवन तेरी बांके हैं नैन हैं
मिलके भी तुमसे बाबा रहते बेचैन हैं
करते हियँ घायल तेरे नैन कजरारे रे
सुन सांवरे ...........
कृपा हो जाए तेरी विनती हमारी है
भक्तों में तेरे नहीं गिनती हमारी है
कहता ना झूठ जालान चाहे तू बिसारे रे
सुन सांवरे ...........