श्याम तेरी जब बंशी बोले सब जग हुआ दीवाना,
मेरा कौन ठिकाना मेरा कौन ठिकाना,
जहाँ बिताए बचपन और जहाँ साथ साथ में खेला,
उसको भी ना समझ में आए गिरवर तेरी लीला,
युग युग से जो प्रेम में डूबा उसका प्यास बुझे ना,
मेरा कौन ठिकाना......
देती है आवाज़ तुझे अब भी यशोदा मैया,
लेती है छुप छुप के सखिया तेरी आज बलैया,
राधा नही दीवानी सारा गोकुल हुआ दीवाना,
मेरा कौन ठिकाना.....