खाटू जाने को जब मेरा मन बावरा ललचाता
श्याम प्रभु को याद करके हिवड़ा मेरा भर आता
खाटू जाने को जब मेरा ................
होता है वो किस्मत वाला हर ग्यारस खाटू जाता
लगता मैं नहीं तेरे काबिल दर्श तेरा ना कर पाटा
शीश के दानी क्यों ना मुझ पर कृपा अपनी बरसाता
खाटू जाने को जब मेरा ................
क्या गलती मुझसे हुई जो इतना मुझको तड़पाता
सुना है तू तो देव दयालु किस्मत लेख बदल पाटा
अब तो मुझको दर पे बुला ले दर्द सहा नहीं अब जाता
खाटू जाने को जब मेरा ................
तू ही बता दे कर्म वो जिनसे दर्श तेरा है हो पाता
दर्शन दोगे कष्ट हारोगे भाव यही दिल में आता
शरण में ले लो अब अंकुर को चरणों में है शीश झुकाता
खाटू जाने को जब मेरा ................