शीश का दानी

खाटू के चप्पे चप्पे पे श्याम की है निगरानी
इस नगरी का कण कण बोले भक्तों श्याम ज़ुबानी
नेरा बाबा शीश का दानी ...................

बाबा के प्रेमी उनको रिझाये रींगस से खटू मिलने आएं
कोई पेट पालनीय कोई चलकर आये कोई दौड़ श्याम को निशान चढ़ाये
सब भक्तों के संग में चलता बर्बरीक कल्याणी
इस नगरी का कण कण बोले भक्तों श्याम ज़ुबानी
नेरा बाबा शीश का दानी ...................

श्याम कुंड का अमृत जल है डुबकी लगाने से मिलता फल है
जो नाम मनो तो आज़मा कर देखो मेरे श्याम शरण में तुम आकर देखो
श्याम नज़र जो पद जाए तो दूर हेट परेशानी
इस नगरी का कण कण बोले भक्तों श्याम ज़ुबानी
नेरा बाबा शीश का दानी ...................

सर को झुकाये दर पे आजा जग से छुपता वो इनको बता जा
बड़ा दिन ठोकर है इस जग की खाई मेरा श्याम करेगा तेरी सुनवाई
गोलू कहता गर्व से ना है श्याम का कोई सांई
इस नगरी का कण कण बोले भक्तों श्याम ज़ुबानी
नेरा बाबा शीश का दानी ...................
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