मेरा दिल अटका संवारिये पे,
मुजको तो किसी की खबर नही,
लगता है ये सीधा साधा पर जादू टोने वाला है,
ज़रा संबल के रहना शालिये से कही ढाए कोई कहर नही,
मेरा दिल अटका संवारिये पे.............
हर घर में ये पा जाता है प्रेमी के मन को भाता है,
ये बहुत पुराना नाता है इस का तुमे कोई फर्क नही,
मेरा दिल अटका संवारिये पे.............
नश्वर है ये जग के रिश्ते बनते है बिगड़ ते है छन में,
फसना अपनी लाचारी है,
इसकी माया का अशर यही,
मेरा दिल अटका संवारिये पे...............
जो होगा देखा जाए गा जीओ तो श्याम की मस्ती में,
अब भला बुरा को ये सोचे हम को तो चिंता फिकर नही,
मेरा दिल अटका संवारिये पे.........
जब इतना कुछ हो जाता है,
तो ये भी मचलने लगता है,
मिलने को तडपता प्रेमी से रहती है फिर श्याम को सबर नही,
मेरा दिल अटका संवारिये पे.............