ठंडाई की ग्लाससा, में तोह गट गट गटथास्य ,
भजन की मेला में तोह हाँ चुप , थारी म्हारी गास्याी
पिचकारी की धारियां, भीझे म्हांकी साड़ियां
कहूं नंदकिशोर है म्हारो , मत कर तू बदमाशियां
सज धज कर में आवा रंग अबीर गुलाल उड़वा
थारे संग में होली खेला काल मिलला दुबारा
ऐसो रंग चढस्या पूरा साल नहीं में उतारा
नाच गाय कर होली खेला देखा अजब नज़ारा
"शशि" की अभिलाषा होरियाँ गाय गाय रिझाश्या
नित नवा नवा भजन सुना में श्याम धणी ने माणस्यां ी
शशिकला परवाल,, ((वर्मा)
हैदराबाद
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