ओ कान्हा ओ कृष्णा,
खो गए तुम न जाने कहा,
निर्मोही ओ कान्हा,
मैं अधूरी हु तुम बिन यहाँ,
बैरी तुम क्या जानो,
ये विरह की अगन कैसी है,
कैसी मैं समझों,
हर घडी एक युग जैसी है,
भूले क्यों सुध मेरी,
ये बता दे मैं जाऊं कहा ,
ओ कान्हा ओ कृष्णा,