घुघंट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे,
घट घट में तेरे साई वस्त है,
कटुक वचन मत बोल रे,
घुघंट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे,
धन जोबन का गरब न खींचे,
झूठा इनका मोल रे,
घुघंट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे,
जाग यातन से रंग महल में,
पिया पाइयो अनमोल दे,
घुघंट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे,
सुने मंदिर दिया जला के,
आसान से मत ढोल रे,
घुघंट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे,
कहत कबीर सुनो बाई सद्दो,
अनहद बाजत ढोल रे,
घुघंट के पट खोल रे तोहे पिया मिलेंगे,