ॐ सुखकंद से सच्चिदानन्द से याचना है,
श्रेय पथ पर चले कामना है. श्रेय पथ पर चले कामना है.
कृत कर्मों की जब याद आती आँखे हैं अश्रुधारा बहाती,
मन में संताप की घोर अनुताप की वेदना है,
श्रेय पथ पर चले कामना है,
पाया नर तन ना पर साधना की,
कुछ भी ना ईश आराधना की,
मन में तृष्णा भरी काम मद लोभ की वासना है,
श्रेय पथ पर चले कामना है,
भक्तजन की सुनो तरुण कविता विश्व दूरितों के है देव सविता,
दूर कर दीजिये भद्र भर दीजिये भावना है,
श्रेय पथ पर चले कामना है,
स्वस्ति पन्था मनु चरम भगवन सूर्य अरू चंद्र के तुल्य मघवान,
ज्ञान दूँ दान दूँ अघनता बन रहूँ प्रार्थना है,
श्रेय पथ पर चले कामना है,
ले चलो सत्य पथ सर्व ज्ञातां घोर अघ से बच्चू सर नवाता,
मुझको दो आत्मबल जिससे होवें सफल साधना है,
श्रेय पथ पर चले कामना है,
स्वामी सत्यपति परिव्राजक का प्रिय भजन
संग्रहकर्ता:- डॉ राधेश्याम आर्य