लाल द्व्जा लहराए रे जिस घर के ओ शिखरा
सब संकट मिट जाए रे सब संकट मिट जाए रे ओ घर से ओ मित्रा
लाल द्व्जा लहराए रे जिस घर के ओ शिखरा
जिस घर पे ये द्व्जा लहराए
वाहा पे खुशिया ही खुशिया आये
उस घर से मिट जाए रे फिर तंगी का फिकरा
लाल द्व्जा लहराए रे जिस घर के ओ शिखरा
बजरंग बली की ध्वजा निराली
भाग जाग गये जिस ने लगा ली
खूब किरपा बरसाए रे मिट जाए रे फिकरा
लाल द्व्जा लहराए रे जिस घर के ओ शिखरा
अष्ट सीधी नव निधि के दाता
सब पे किरपा खूब लुटाता
शिभु मौज उडाये रे ध्वजा लगा के शिखरा
लाल द्व्जा लहराए रे जिस घर के ओ शिखरा