( श्री कृष्ण, गोविन्द, हरे मुरारी,
हे नाथ, नारायण, वासुदेवा ll )
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है l
*कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है ll,
यहाँ श्याम है मन, वहाँ जा रहा है,,,
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है ll
मगन जब से मोहन में, मन हो गया है l
कहूँ क्या यह कितना, प्रसन्न हो गया है ll
ये दिन रात बस, झूमता फिर रहा है,,,
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है ll
लगी ऐसी लौ, साँवरे से मिलन की l
रही न ज़रा सी भी, सुध अपने तन की ll
छवि श्याम की, देखता जा रहा है,,,
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है ll
तनिक साँस गोविन्द, के रंग रंगा के l
यह खड़ताल इन, धड़कनों की वजा के ll
ह्रदय प्रेम में, डूबता जा रहा है,,,
कन्हईया की धुन में, बहा जा रहा है ll
अपलोडर- अनिलरामूर्तिभोपाल