क्यों पानी में मल मल नहाये,
मन की मैल उतार, मन की मैल उतार,
क्या पानी में मल मल नहावें,
मन को मैल उतार पियारे,।।
हाड़ माँस की देह बनी है
झरे सदा नवद्वार पियारे,
क्या पानी में मल मल न्हावै
मन को मैल उतार पियारे,
पाप कर्म तन के नहिं छोड़े
कैसे होय सुधार पियारे,
क्या पानी में मल मल नहावें,
मन को मैल उतार पियारे,
सत संगत तीरथ जल निर्मल
नित उठ गोता मार पियारे,
क्या पानी में मल मल न्हावै
मन को मैल उतार पियारे,
ब्रह्मानंद भजन कर हरि का
जो चाहे निस्तार पियारे,
क्या पानी में मल मल न्हावै
मन को मैल उतार पियारे,