सत्यवान के संग में जो तू ब्याह रचावेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी....
वन वन में भटकत डोले कहा तू रहेगी,
मौसम की मार बेटी कैसे सहेगी,
एक बरस की उम्र है बाकी तू पछतावेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी.....
सास ससुर है अंधे कैसे रहेगी,
खाने को दाने दाने तू तरसेगी,
अरे राज पाठ को छोड़ के बेटी लाज ना आवेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी.....
एक से एक राजा तेरे पुजारी,
ब्याह करण का मन सबका है भारी,
अरे जंगल जंगल भटकत डोले दुःख तू पावेगी,
अरे ओ बेटी री तू सुख ना पावेगी.....