तर्ज - जब जब बहार आये
होंठो पे मेरे जब भी बाबोसा नाम आये,
हर बात बन जाये,
जब मुस्किलो ने घेरा, आये जो गम के साये,
हर बात बन जाये......
इनके भरोसे ही मेरे जीवन की नैया चलती,
तूफान हो या आंधी, उसको तो राह मिलती,
हो..हो..
बाबोसा बनके माझी, मेरी नैया को चलाये,
हर बात बन जाये......
मुझको गले लगाकर, हरपल दिया सहारा,
तेरे नाम से ही बाबोसा, मेरा चल रहा गुजारा,
हो..हो..
खुशियों के दीप तुमने, जीवन में जो जलाये,
हर बात बन जाये....
अपना बनाया जो मुझे, तेरा रहमो करम है,
मेरे साथ है जो बाबा, फिर न फिकर न गम है,
हो..हो..
"दिलबर " तेरे फसाने, नागेश गुन गुनाये,
हर बात बन जाये.....