मेहंदीपुर वाले बाला के दरबार में अरजिया चल के अपनी लगाये गे हम
जो सुनी न हमारी किसी ने कही चलके बाबा को दिल की सुनाये गे हम
मेहंदीपुर वाले बाला के दरबार में.......
मेहंदीपुर धाम धामों में वो दरबार है जिसके दर से कोई खाली आता नही
जुक गया सिर जो इक बार बाबा के दर फिर कही अपना सिर वो जुकाता नही
मेहंदीपुर वाले बाबा का दर चूम कर फिर कही और न आये जायेगे हम
मेहंदीपुर वाले बाला के दरबार में..
चलती सरकार है अंजनी लाल की न्याय मिलता है सब को ही दरबार में
लगती है अरजिया होती है पेशियाँ सब से उची अदालत है संसार में
जज की कुर्सी पे बैठे है बाबा मेरे
गम नही कोई जीत जायेंगे हम
मेहंदीपुर वाले बाला के दरबार में
भेरो बाबा है कोतवाल बन के खड़े
दीन दुखियो का लड़ते मुकदमा वही,
लगी है कचेहरी प्रेत राज की रिश्वव्तो से वाहा काम चलता नही
चलती जिनकी वकालत है दरबार में केश अपना उन्ही को लिखायेगे हम
मेहंदीपुर वाले बाला के दरबार में