मन भज गोविन्दम हरे हरे
मन भज गोविन्दम हरे हरे,
सुक सनकादिसिद्ध मुनि नारद,
शिव- बिरंचि नित ध्यान धरे,
मन भज गोविन्दम........
नील सरोरुह श्याम नीलमणि,
मदन मदहरण नीलधरे,
मन भज गोविन्दम........
करुणा सागर नटवर नागर,
नैन मनोहर प्रेम भरे,
मन भज गोविन्दम........
सुमिरत मिटत राग भय तृष्णा,
कलि कलुष भवसिंधु तरे,
मन भज गोविन्दम.......
रचना आभार: ज्योति नारायण पाठक
वाराणसी