मेरे बाबा मेरे मालिक क्यों मुझसे रूठा भला,
तू जो रूठा रहा ऐसे जीयु मैं कैसे भला 
मेरे बाबा मेरे बाबा....
अपना जन्मो का ये रिश्ता है तुमसे बड कर न कोई दूजा है,
माना तेरे ना भले ही तेरी मन के मंदिर में तुझे पूजा है 
है पापी नही मुझसा संसार में कोई इतना ही मुझको पता 
फिर भी बाबा मुझे पल पल सहारा तेरा मिला 
मेरे बाबा...
कश्ती का तू मेरी किनारा है बेसहारा मैं तू सहारा है 
कितनो को तूने भव से तारा है गर्व से केहता तू हमारा है 
तुझसे बिछड़ कर ना जीना गवारा है इक पल भी मुझको प्रभु 
मेरे कर्मो का दोष है नही तुझसे है मिला 
मेरे बाबा.......
गलितया मेरी तू छमा करदे हाथ करुना का सिर पे तू धर दे 
गाऊ भजनों को ढूंड कर तुझमे बाबा मुझपे भी मेहर करदे 
सांसे ये मेरी तेरा नाम लेके ही चलती रहे बस सदा 
तेरे शानु को दिल से शाम नही देना बुला 
मेरे बाबा