द्वार खड़ी शनी देव तुम्हारे

द्वार खड़ी शनी देव तुम्हारे किरपा करो शनि दया करो,
करू तुम्हारी चरण वंदना कष्ट हमारे विदा करो
द्वार खड़ी शनी देव तुम्हारे .....

तुम्हे मालुम सभी कुछ घेर खड़े है गम कितने
तुम से नही तो किस से कहे लाचार बड़े है हम कितने
तुम से है ये बिनती मेरी छमा करो अप्राद मेरे
भीड़ दुखो की घेरे खड़ी है कोई नही है साथ मेरे
करू तुम्हारी चरण वंदना कष्ट हमारे विदा करो
द्वार खड़ी शनी देव तुम्हारे .....

दुनिया की क्या बात करू मैं परछाई भी दुश्मन है
राहे हो गई अंगारों सी आग में जलता जीवन है
हाथ धरो मेरे सिर के ऊपर शीतल सी छाया करदो
हो जाए दुःख दूर हमारे तुम ऐसी माया करदो
करू तुम्हारी चरण वंदना कष्ट हमारे विदा करो
द्वार खड़ी शनी देव तुम्हारे .....

कब काटो गी देव हमारी किस्मत की जनजीरो को
रंग दो खुशियों से हाथो की इन बेरंग लकीरों को
नया करा है न्याए देवता दर दर की ठुकराई हु
नये मिलेगा यही सोच के द्वार तुम्हारे आई हु
करू तुम्हारी चरण वंदना कष्ट हमारे विदा करो
द्वार खड़ी शनी देव तुम्हारे .....
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