उड़ जाएगा हंस अकेला जग दर्शन का मैला

उड़ जाएगा हंस अकेला, जग दर्शन का मैला

छुटेंगे महल अटारी, छूटेगी दुनियादारी
कुटुंब कबीला छुटे-छुटे, बचपन दिन संग खेला रे

जैसे पात गिरे तरुवर के, मिलना बहुत दुहेला
ना जानू या किधर गिरेगा, लगे या पवन का रेला

जब होवे उमर पूरी, जब छूटेगा हुकुम हजूरी
जम के दूत बड़े मजबूत, जम से पड़ा झमेला

हर के कबीर गुण गावे, वह हर को परा पावे
गुरु की करनी गुरु जाएगा, चेला की करनी चेला

रचना - संत कबीर
स्वर - दीपक भिलाला
संगीत -विजय गोथरवाल
श्रेणी
download bhajan lyrics (576 downloads)