साईं जागता है कब सोता है हमदर्द सभी का होता है
मालिक है तू कैसा मालिक है बालिक है तू कैसा बालिक है
जब रोये कोई भी तू रोता है,
साईं जागता है कब सोता है हमदर्द सभी का होता है
ना धन दोलत ना चांदी रे कैसे तू बनाये तकदीरे,
जादू है आप या के करिश्मा है रोता भी याहा खुश होता है
कब सोता है हमदर्द सभी का होता है
इंसा इंसा को काट रहा तू प्रेम संदेसा बाँट रहा
चाहे मंदिर मश्जिद गुरु द्वारा मेरा साईं सभी में होता है
कब सोता है हमदर्द सभी का होता है
बिछड़े लेहरें मिल जाती है मुर्जाये चमन खिल जाते है,
कैसा है खजाना फकीरे का लुट कर भी ना खाली होता है
कब सोता है हमदर्द सभी का होता है