जो भगतो का रखवाला वो माँ अंजनी का लाला है,
मंगल भवन अमंगल हारी दरभु सुदसरथ अवध बिहारी
वो तो मंगल करने वाला है वो माँ अंजनी का लाला है
सकंट कटे मिटे सब पीड़ा जो सुमिरे हनुमत बलबीरा
वो तो संकट हरने वाला है वो माँ अंजनी का लाला है
रघुकुल रीत सदा चली आई प्राण जाए पर वचन न जाई
वो तो वचन निभाने वाला है वो माँ अंजनी का लाला है